ख़्वाब
ख़्वाब
अनछुए से उलझे-उलझे ख़्वाब।
बादलों से उमड़ते-घुमड़ते।
खो जाते से ख़्वाब।।
बुने तो थे कई,
जाने कहाँ किस ओर,
हवा संग बह गए।।
अनछुए से उलझे-उलझे ख़्वाब।
बादलों से उमड़ते-घुमड़ते।
खो जाते से ख़्वाब।।
बुने तो थे कई,
जाने कहाँ किस ओर,
हवा संग बह गए।।