Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ashish Vairagyee

Drama Romance

2  

Ashish Vairagyee

Drama Romance

सुहागिले

सुहागिले

1 min
7.0K


अक्सर उठ के बैठ जाता हूँ

रात के ढाई-तीन बजे मैं।

अब भी कभी-कभी ख्वाबों में,

आ जाती हो तुम।

ऐसा नही है कि याद करके

कोई सकूँ मिलता हो मुझे।

बस एक दर्द हो,

जो रह रह के उठ आते हो तुम।

ये तुम्हारे ख्वाब भी न! मुझे,

रातों को सोने नही देते।


सुनो !

कोई मन्नत मानी थी क्या तुमने,

जो अधूरी रह गयी है ?

मुझे बार बार एक ही जैसे ख्वाब आते है ,

एक मंदिर,कुछ चूड़ियाँं, गाय, और नदी के।

मैं मंदिर तक जाता हूं और पहुंचता नही हूँ।

गाय सींग मार देती है

और नदी में, हमेशा डूब जाता हूँ मैं।

तुम पिछली बार की तरह

बस एक बार रामनगर चली आओ,

चलो मेरे साथ न सही

अकेले ही चली जाना।

गिरिजा माता मंदिर पे,

गाय को रोटी खिला देना।

मैया को चूड़ियाँ चढ़ा देना।

मैं ना सही,

तुम्हे तुम्हारा जीवन साथी

तो मिल गया है न।

उसकी ही खातिर चली जाना।


शायद तुमने वहां सुहागिले बोली है !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama