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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

3  

SURYAKANT MAJALKAR

Romance

खूबसूरत बारिश

खूबसूरत बारिश

1 min
510


उस रात की बारिश आज

भी मुझे याद आती है

भीगे बदन में कितनी

खूबसूरत लग रही थी तुम

मैं भी कम भीगा नहीं था..


फिर तुमने अपने गीले

बाल खुले किये..

उन बालों से टपकती

और तुम्हारे गालों से होकर

गिरती बारिश की बूंदे 

मोतियों से कम नहीं थी


तुम खुद को संवार रही थी की,

तुम्हारी नजर मेरी तरफ गयी

शर्मा कर तुमने चेहरा ढक लिया था


इस मौसम में ये सोने पे सुहागा था

तेरा ठंड से काँपना क्योंकि एक

मेरे अलावा तुम्हारे पास कोई 

विकल्प नहीं था

चाय को वक़्त लग जाता, कम्बल

समय पे न मिल पाता

और तुम्हें 'पीना' नहीं भाता


अगर नयी मुलाकात होती

या शादी की पहली रात होती

तो बात कुछ ख़ास होती

फिर भी वह रात अभी याद आती है


बारिश और तुम्हारा नाता बहुत 

गहरा और पुराना है

लेकिन मौके भी तो कम आये है


जो भी आये तुमने खूब साथ दिया

उम्र एहसास होने नहीं दिया



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