यादों के कोने से
यादों के कोने से
मेरे चंचल से मन में
एक ख्याल हर रोज टकराता है।
सूना सा है मन का आंगन
हर दिन ख्वाब सजाता है।
कभी टूटकर बिखरना
फिर सम्भल जाता है।
मेरा ये पागल दिल
इसे कुछ समझ आता नहीं।
है दूर खिन्न मेरा मन मुझसे
कुछ सूना -सूना सा लगता है।
कुछ बातें दिल को चुभ जाती है
कुछ प्यार की बातें याद आती है।
क्या आज भी तन्हा रहते हो?
उस खिड़की से वो चाँद
आज भी अकेले ताकते हो ?
हाँ ! तुम बहुत याद आते हो....