मैं क्या कहूँ तुम्हें?
मैं क्या कहूँ तुम्हें?
तुम्हारे ही ख़यालों में खो जाता हूँ
वास्तविकता से जुदा मैं हो जाता हूँ
मैं क्या कहूँ तुम्हें? एक कल्पना कहूँ
आँखे बंद करूँ तो तुम दिखाई देती हो
आँखें खोलूँ तो तुम गायब हो जाती हो
मैं क्या कहूँ तुम्हें? एक सपना कहूँ
तुम मिलनेवाली नहीं यह जानता हूँ
फिर भी तुम्ही को अपना मानता हूँ
मैं क्या कहूँ तुम्हें? एक मृगजल कहूँ
मनसागर में सुख का ज्वार लाती हो
कभी दुख का भाटा भी तो लाती हो
मैं क्या कहूँ तुम्हें? एक चाँद कहूँ
तुम्हारी नज़रों का डंख मिठा लगता है
मेरे दिल के कोने में मिठा छत्ता लगा है
मैं क्या कहूँ तुम्हें? मधुमक्खी कहूँ
मन भँवरे की तरह आतुर हो जाता है
तुम्हारी इर्द-गिर्द उड़ने का मन करता है
मैं क्या कहूँ तुम्हें? एक गुलाब कहूँ
अब से जितनी बार दिल धड़केगा
बस तुम्हारा ही नाम लिया करेगा
मैं तुम्हारा नाम 'धक् धक्' रख लेता हूँ