आगाज़
आगाज़
अभी आगाज़ इस सफ़र का,इक जगह बैठना गवारा नहीं,
उस कश्ती पर सवार हूं, जिसका सिर्फ़ इक ही किनारा नहीं।
माना अभी तक जीत नहीं पाया इतनी कोशिशों के बाद भी,
पर दुनिया में ऐसा कौन सा इन्सान है जो कभी हारा नहीं।
अभी काबिल नहीं हुआ खुदा मैं तेरी इबादत, तेरी रहमत के,
और मेरी मेहनत ने अपने दम पर मुकद्दर को संवारा नहीं।
रो लेता हूं तन्हाइयों में टूटकर, फिर भी सूफ़ी ही रहता हूं,
ए मेरे काबिल दोस्त, मैं कुवांरा जरूर हूं पर आवारा नहीं।
चाहे फिरता रहता हूं इधर उधर मजबूरियों में उलझा हुआ,
पर असल ठिकाना जानता हूं अपना, मैं कोई बंजारा नहीं।
सदा मौजूद रखता हूं, ज़हन में इक एहसास जुनून से भरा,
ए मेरी गर्म सांसों अभी सुकून से सांस लेकर गुज़ारा नहीं।
इरादा और वादा है कि दामन पर लगे सारे दाग धो दूंगा,
आरजुओं के आकाश में चांद बनना चाहता हूँ
सितारा नही सपनों के दामन में ना जाने कितने ही कांटे छुपे हैं।
अशफिर भी सबकी ज़िन्दगी में उम्मीद जैसा कोई सहारा नहीं।
#postiveindia