मासूम पौधा
मासूम पौधा
देखो ना आज दो बीज ने
पौधे का रूप लिया है
जो बोया था कभी
हम दोनों ने बड़े चाव से
एक बीज गमले में बोया
एक मेरी उदर धरा में
दोनों ने आगाज़ दिया है
अपने अवतरण का
गुदगुदाता मुझको छूता
नन्हे हाथ पैरों से
मन मेरा है मचल उठता
उस फरिश्ते को छूने को
गमले वाला फल फूल कर
कोंपल सा कुछ उभरा है
बोया था जो कोख में मेरी
नन्हे हाथ हिलाता है
गमले वाला नीर से सिंचा
कोख वाले को खून से
आना तुम अगले माह की पूनम को
अपने अंश को छूने भर को
अपनी हथेलियों से
गमले वाला बड़ा है प्यार
कोख वाला कुछ तुम सा
बिलकुल नन्हे पौधे सा
खिला है मेरे तन में