"वफ़ा"
"वफ़ा"
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जब वफ़ा की कतार में आया
आईना भी ख़ुमार में आया
गुल को जब उसने प्यार से देखा
रंग उसका निखार में आया
पाक क़दमों से जब ज़मी चूमी
ज़र्रा ज़र्रा बहार में आया
तेरे आमद की इक ख़बर सुन कर
हर नज़ारा श्रृंगार में आया
तू बना दे या कर फ़ना इसको
ज़ज़्बा ये ऐतबार में आया
जो मज़ा रेणू रूबरू न था
लुत्फ़ वो इंतज़ार में आया।