सिलसिला
सिलसिला
तुम हमारे हम तुम्हारे हैं यह जानते हैं हम
फिर भी हम दूर दूर ही हैं एक दूजे से सनम
कैसी है यह इम्तिहान की घड़ियाँ जो खत्म होती नहीं
तेरी हर बात को हम मानते हैं सनम
पर कब तक यह तकदीर हमारी यूँ रूठेगी
यह भी तो हम को बता दो सनम
यह दौर खत्म होने का नाम ही नहीं लेता
मिलन की घड़ियाँ नज़दीक आते ही
फिर कोई और इम्तिहान आ जाता है
शायद तकदीर हमसे कोई खेल खेल रही है
कभी तुम तो कभी वक्त मेहरबान नहीं होता
जब तुम खुश होते हो तो तक़दीर हमारी रूठ जाती है
जाने कब तक यूँ ही चलता रहेगा ये सिलसिला....