अधूरा पत्र
अधूरा पत्र
आज भी मेरी डायरी में
वह पुराना खत
उन लम्हों को समेटे हुए है
जो कभी तुम्हारे लिए लिखे थे मैंने
उस खत में पड़ा वह सूखा गुलाब
आज भी मेरे प्यार की खुशबू से तरोताज़ा है
आज भी याद है मुझे
कॉलेज का वो पहला दिन
जब कॉलेज की कैंटीन में तुम
पहली बार मुझसे टकराई थी
समझ कर कोई आवारा
तुमने मुझे कुछ बातें सुनाई थी
पर उस वक्त मैं कुछ बोल ही ना पाया
क्योंकि पहली बार सामने
मेरे सपनों की परी जो आई थी
कॉलेज का वो first lecture
मुझे सच में इतना भाया था
क्योंकि अपने सपनों की रानी को
मेरी ही क्लास में जो पाया था
दिल में थी एक अलग खुशी
एक अलग-सा जुनून छाया था
जब तुमने खुद को introduce करते हुए
मेरे ही शहर का बताया था
बरसों से इस चाँद को
ना जाने कहाँ छुपाया था
मेरी ही क्लास में आज
जिसको मैंने पाया था
हर रोज ही तुम कॉलेज में
बड़ी सिंपल बनकर आती थी
और तुम्हारी यह सादगी
हर बार मुझे ठग जाती थी
जीन्स में भी तुम क्यूट थी लगती
पर सूट में अलग ही कहर ढ़ा जाती थी
मुश्किल से ही दिन में कभी
हमारी मुलाकात हो पाती थी
मैं तुम्हें देख मुस्काता
और तुम मुझे देख मुस्काती थी
दिल दीवाना तुम्हारा हो गया था
उस पहली ही नजर में
पर बताया तो कहीं दोस्ती भी ना तोड़ दो
कुछ कह ही ना पाया हमेशा इसी डर में
अपने दिल के जज़्बातों को
एक पन्ने पर उतारा था
तुम्हारी हर मासूमियत को
अपने शब्दों से सँवारा था
मेरे दिल के दरिया का
तुम ही तो एक सहारा था
कहीं खो ना दूँ अब उसको भी
यही सोच कर इस खत को भी नकारा था
कोई प्रेम पत्र नहीं मैंने
जज़्बात दिल के लिखे थे
चाहत थी तुम तब से ही मेरी
जब हम पहली बार मिले थे
भले चाहत पूरी ना हुई मेरी
इसका ना कोई अफसोस है
पर यह अधूरा पत्र जो कभी दे ना सका
तुम्हारी याद दिलाता रोज है...।