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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

वो गुलमोहर

वो गुलमोहर

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हाँ मुझे याद है ये गुलमोहर

आज शिद्दत से तुम्हारी चाहत के

हर फ़साने पर मोह जग रहा है..!


दीपक सा जलता है अंत:स्थल

ठिठक कर रुक गई हूँ

उस गुलमोहर की कलियों के प्रति

आज वासना उभर रही है

उर कण-कण में..!


बैंगनी दुपट्टा उड़कर मेरा

बैठ गया गुलमोहर की ड़ाल पर आज भी,

आओ ना तुम उस दिन की तरह लाकर

ओढ़ा दो तुम्हारी

अमानत तन सिकुड़ती खड़ी है..!


देखो बारिश की झुरमुट में

अटका बादल बिन मौसम आ गया

क्या तुम नहीं आ सकते..!


तेरी रानी बेकल है

तुझे कहने को अपना राजा..!

आ जाओ तब तो ख़्वाहिश पूरी कर दूँ..!


मेरे अधरों की मंद हँसी में छुपी है

आज हामी मेरी

शयनागार में रोज आते हो

मेरी नैन कटोरियों में

पल रहे स्वप्न को सजाने..!


साक्षी है गुलमोहर तुम्हारा

मेरे प्रति प्रेम निवेदन करना,

ओर मेरा इन्कार करना

सब जानता है ये गुलमोहर..!


पाषाण ना बनो अटका है मेरा मन

तुम्हारे बोल कानों में घोलने,

एक बार फिर आ जाओ

स्वीकृत ह्यदय का खाली स्थान भर जाओ ना

अगर याद है तुम्हें भी ये गुलमोहर..!


तो मेरा प्रणय निवेदन

स्वीकार करने आ जाओ

गुलमोहर की छाँव में

कर लूँ मैं समर्पण।।


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