लड़की पूछ रही है तुमसे
लड़की पूछ रही है तुमसे
मैं कौन हूं, कौन मुझे यहां लाया है
क्या मेरी किस्मत में, अंधेरों का साया है
क्यों मैं हर वक़्त डरी सहमी सी सहती हूं
किसने मुझे अबला बनाया है
क्यों मैं नहीं निकल पाती घर से शाम बाद
क्यों हर वक़्त मुझ पर ये पहरा बिठाया है
क्यों मुझे पूज कर देवी तुम बताते हो
तुमने ही तो मुझे कोठों पर नचाया है
क्यों हर वक़्त ये आंखें तुम्हारी नोचती है
क्या तुमने बहन-बेटी का प्यार नहीं पाया है
एक लड़की पूछ रही है तुमसे
जिसने तुम सबके घर जन्म पाया है।