पाक़ लहज़े में की क़िफायत है
पाक़ लहज़े में की क़िफायत है
पाक़ लहज़े में की क़िफायत है
आपसे बस यही शिक़ायत है
ज़िंदगी के हसीन मौसम की
मौत ही आखिरी हक़ीक़त है
दौर कैसा चला ज़माने में
आज मिलती कहाँँ सदाक़त है
नेकियां जो यहाँँ सदा करते
पास आती नहीं नदामत है
मुश्किलों का मुक़ाबला करना
दे मुसाफिर यही हिदायत है...।