टूटे सपने मेरे हैं
टूटे सपने मेरे हैं
ना पूछो अब कि ये घाव कितने गहरे हैं,
वो देख रहे हो ना तुम वो टूटे सपने मेरे हैं।
रोता था बचपन में जब टूटा खिलौना मेरा था,
हो गया मंजूर किस्मत में जो भी होना था।
रोया नहीं इस बार जबकि घाव घनेरे हैं,
वो देख रहे हो ना तुम वो टूटे सपने मेरे हैं।
राहों में चलते चलते लड़खड़ाया कई बार,
सहता रहा मैं बस वक्त की हर एक वार।
फिर भी जुबां पर लगाए कई पहरे हैं,
वो देख रहे हो ना तुम वो टूटे सपने मेरे हैं।
बड़ी शिद्दत से बनाया था आशियाना,
संजोया था कुछ अरमानो का खजाना।
यादों में आज भी वो पल सुनहरे है,
वो देख रहे हो ना तुम वो टूटे सपने मेरे हैं।
नाज था हमें कुछ अपने सपनों पर,
कुर्बान हो गए जो अब अपनो पर।
समझ न सका कि ये गैर हैं या मेरे हैं,
वो देख रहे हो ना तुम वो टूटे सपने मेरे हैं।
टूटा जब तारा तो मैं भी कुछ माँग लिया,
हकीकत को आखिर मैंने कैसे भूला दिया।
गर टूटा मै तो कितनो के सपने जोड़े हैं,
इसलिए अब तक टूटे सपने मेरे है।