क़ातिलाना ख़्वाब
क़ातिलाना ख़्वाब
मेरे ख्वाब आओ बैठो, रूठे होने की बात करो।
तुम अधूरे मैं अधूरा, पूरे होने की बात करो।
माना कि ये दिन हैं जुदा, माना हम तुम हमदर्द नहीं।
पर मैं बुलाऊँ तू ना आये, इतने रिश्ते भी सर्द नहीं।
कुछ थी मेरी भी मजबूरी, कुछ थे मेरे भी हाथ बंधे।
कुछ तू भी आसान नहीं, कुछ नखरे भी तो थे तेरे।
मेरे लिए भी ना था आसान, तुझसे आगे बढ़ जाना।
हर मरहले पे याद आया, हमारा अधूरा अफ़साना।
तुझ बिन सब बेमानी है मैंने अब ये जाना है।
तुमको मुकम्मल करना है अब मैंने ये ठाना है।
ये राब्ता है मेरा तुझसे, तुझपे क़ुर्बान है जान मेरी।
नियत मेरी सच्ची है, तो अल्लाह अब निगेहबान मेरी। #Dreamstodiefor