चंद कतरे आंसू
चंद कतरे आंसू
चंद कतरे आंसू
बह गए आंखों के कोनों से
आज फिर चंद कतरे आंसू
ना तो सुख के
ना ही दुख के
खोए-खोए से खुद में ही
रहे ख़ामोश से,बज़ुबान आंसू
लिपट कर दर्द के साये से हर बार
पी गए आखिरी घूंट तक
घुटन दिल की
और हो गए ख़ुद नमकीन ये आंसू
बिखेरो ना यूं ही बेकार में इनको
रहने दो बंद पलकों की तिजोरी में
कि हैं अनमोल ये आंसू !