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Nisha Nandini Bhartiya

Others

4.7  

Nisha Nandini Bhartiya

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नन्हा पौधा

नन्हा पौधा

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बीज डाला धरती में 

नन्हा पौधा उग आया 

हाथ मिलाने मानव से 

कैसा खिलखिलाया।


नरम नाजुक प्यारे से 

कोमल से ये दो पत्ते          

लेते सांस खुली हवा में 

गाते झूमते इतराते।


जल की दो बूंदों से 

बेहद खुश हो जाते 

आशीष में फल से 

सारा कर्ज चुकाते।


धरती माता दोनों की 

दोनों पर स्नेह लुटाती

रहे दोनों मिलजुल कर 

उत्तम सीख दे जाती। 


चलती साँसें दोनों की 

दोनों के जीवित रहने पर

दोनों पूरक एक दूजे के 

रहते एक दूजे पर निर्भर।


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