जय घोष
जय घोष
घर-घर दीप जले
उजियारा फैल गया
अंधकार लो तुम पर
जय का घोष हुआ.
जीवन में संघर्षों की
जितनी भी कथा बने
प्रण से कर्म से उनपर
जय का घोष हुआ.
सीता-राम उस रात
अयोध्या लौटे थे
वैसे ही सुख-संपदा
का घर-घर आगम हो.
जग देखे भारत को
इक युग प्रवर्तक सा
बिखरी आभा का मण्डल
सा-शुचिता पुनः विराजित हो.
दीपावली पर हार्दिक शुभेच्छा।