अनसुलझी पहेली
अनसुलझी पहेली
कुछ दिन ही तो हुए
कोई बोला
हम हैं हिंदू
कोई बोला
हम हैं मुस्लिम
कोई बोला
हम सिख हम ईसाई।
लहर एक चली एसी
मद्धम सी रोशनी को
रोशन कर दिया
जाति धर्म के भेद को
मिट्टी में मिला दिया।
चले सब इकट्ठे मिल
नयी हवा चलाने
चले सब इकट्ठे मिल
अपनी उँगलियों से
नयी सरकार बनाने।
भेदभाव सब
सोनिया पीछे छूटा
कमरा एक
मशीन एक
वोट भी असीमित दिए।
स्नेह प्रेम से
सबके वोट से
सबके सहयोग से
मोदी चल पड़ा सबको
अपने संग लिए।
नए भारत की नींव ज़माने
जाति धर्म के भेद मिटाने
रिश्तों को मज़बूत बनाने
धर्म और इंसानों की
अनसुलझी पहेली को।
न्याय के मार्ग पर
चलते हुए सुझाने
जातिवाद रूपी
पहेली को सुलझाने।