'मैं'- एक खोज
'मैं'- एक खोज
कभी-कभी मैं सोचता हूँ
'मैं कौन हूँ?'
और, जब मैं सोचता हूँ
तब 'मैं' होता हूँ
वरना कोई और होता है
तो, वह जो कोई और है
उसकी ही तलाश मेरी तलाश है
इसलिए मैं कभी-कभार सोच लेता हूँ
वह हमेशा उपस्थित होता है
मैं कभी-कभार
इसलिए मेरा सोचना कभी-कभार है
एक म्यान में एक ही तलवार होगी न
इसलिए जब मैं आता हूँ वह कहीं दूर चला जाता है
जबकि मैं उसे ही ढूंढ रहा होता हूँ।