उड़ जाने को जी चाहता है
उड़ जाने को जी चाहता है
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बन पंक्षी
आसमान में,
उड़ जाने को
जी चाहता है,
तेरे इश्क में
ए रहनुमा
रंग जाने को
जी चाहता है,
जहाँ से आगे
कहीं दूर,
एक आशियाँ
बनाने को
जी चाहता है,
हवा बनके
तेरे जिस्म में
समा जाने को
जी चाहता हैं,
तेरी जुल्फ के
घने छाँव में,
सादगी भरे
इस गाँव में,
दोपहर बिताने को
जी चाहता हैं,
तुझसे मिलकर
दिलों की नफ़रत
मिटाने को,
जी चाहता हैं,
पलक ना
झपके तुझे
निहारने को,
जी चाहता हैं,
बन पंक्षी
आसमान में,
उड़ जाने को
जी चाहता हैं।।