सांसों की कविता
सांसों की कविता
किसी शायर की ग़ज़ल कहूँ
या कवि की कविता
शान्त चेहरा
झील सी आँखें
और
सुर्ख होंठ
घटा तेरी आँखों का ,
काजल माँगती है
और
चाँदनी नूर
फजाएँ तुझ से रंग माँगती हैं
और दिशाएं चंचलता
भ्रमरी तुमसे गुनगुनाहट माँगती है
और
फूल तुम्हारी हँसी
तुम हरेक नजर में हो
मगर...
तुम किसी नजर में समायी हो
तुम पे गजल लिखूं
या कविता
तुम मेरी "जाने गजल "हो
मेरे साँसों की कविता !
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