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Sunil Yadav

Romance

1.0  

Sunil Yadav

Romance

युग में राम कहे जाते

युग में राम कहे जाते

2 mins
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तुम्हारे लिए ही जीवन भर दूजे साथी बनकर रहना था

तुम्हारे लिए ही अनुरागी रागी बनकर पास संवरना था

यूँ तो जीवन तुम्हारे बिना अकेले रहकर गुजार सकता था

पर तुम्हारे बिना भव - सागर को पार नही कर सकता था

गीत ग़ज़ल के शब्दों को तुम्हारे बिना भी गुनगुना तो लेता

पर तुम्हारे बिना जीवन में कोई महफ़िल यूँ न सजा पाता 

रंगों की भरी दुनिया में कैसे हम एक दूजे को पहचान लेते

जो कभी मिलकर एक दूजे को हम जान भी पहचान लेते

जो तुम मुझको छोड़ गए जीवन भर तन्हा कर गए

अकेले भी कैसे मैं यहाँ जी पाता जो तुम सांसों को ले गए 

जीवन भर की बातें जो चेहरे पर हम लिखकर लाये थे

उन्हीं बातों को भी तुम मुश्किल से  यूँ न पढ़ पाये

हम अनुरागी प्रेम को सदा तुम पर बिखराने लाये थे

पर तुम दीवाने किसी के मेरे पास मुस्कुराने भी न आये 

हम दोनो एक दूजे से जीवन भर अलग होने आये थे

पर जीवन भर उसी शोक को एक दूजे संग मनाने आये थे

इस दुनिया में साथ रहकर हम दोनो को अलग मरना था

जीवन भर की प्रेमकथा को इस दुनिया में चर्चित करना था

जीवन भर दोनो आँखों से आंसू ही सिर्फ निकलने आये थे

प्रभू राम के जीवन के वनवास को दोनो दोहराने आये थे

हम वनवासी होते भी तो इस युग में राम कहे भी जाते

पर तुमको सीता होने पर इस दुनिया से बचाने आये थे


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