सफ़र
सफ़र
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मुलाकातों का सिलसिला अब थम सा गया है
ज़िंदगी कि रफ़्तार में सब बिछड़ सा गया है
ये भाग दौड़ ये काम काज तो एक ज़रिया रह गया है
यह चंद सपनों को पाने का अब ज़रिया रह गया है
पाने की ख्वाहिशों में ज़िंदगी कब बढ़ती चली गयी
जीने की जगह ज़िंदगी कमाने में गुज़र गई।