अनकहे शब्द
अनकहे शब्द
इतना किसी से प्यार, कभी मै नही किया,
मै ख्वाब देखता रहा, ज़ाहिर नही किया।
सच बोलना भी चाहा पर हिम्मत नही हई,
नज़रों ने उसको दिलमे कैसे क़ैद कर लिया।
किस खौफ से मैने भी तेरा हाँथ ना मांगा,
ऐसा गुनाह दिलने सनम बारहा किया।
मांगा खूदा से तुमको दुआओ मे बार बार,
तुमसे मगर बताने की जुर्रत नही किया।
ये सच है मेरी जान मेरे दिलको है पता,
हिम्मत मगर ग़रीब ने इतना नही किया।
अफसोस आज मुझको तुझे छोड़कर हुआ,
क्योंकर तुझे मै बांहो मे अपने नही लिया।
अब दिल क्या चाहता है तुझे कह सके ना वो,
तुमको भी ईश्क मुझसे था ज़ाहिर नही किया।
ऐसा गुनाह हो गया दोनो तरफ से आज,
मैने कलाम ख्वाबों मे तुमसे सनम किया।
अबतक जगह वो खाली है तेरे लिए दिलमे,
तुम छीन लो ज़माने से मै हक़ तुझे दिया।
एक बार अपने होंठो से तुम कह दो प्यार है,
मैने मिलन के वास्ते पलकें बिछा दिया।