काश की मैं भारतीय रह पाता
काश की मैं भारतीय रह पाता
काश....
.... गरीबी के बचे हुऐ ३३ करोड़ में …
.... निरक्षरता के झखझोड़ में …
.... ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों में ....
.... मानवीय सवेंदनाओं की इन महीन सी डोर से बँधा हुआ....
काश कि मैं भारतीय रह पाता....
काश....
.... औरतों की इज़्ज़त का मुद्दा ऊपर होता....
…. भ्रूण हत्या के खिलाफ़ क़दम पहले उठते....
.... बेरोजगारी से लड़ने की आवाजें ज्यादा बेहतर होती.…
.... फंडामेंटल राइट्स के अलावा, फंडामेंटल ड्यूटी को भी समझ पाता
काश कि मैं भारतीय रह पाता ....
काश....
…… इस सरजमीं पर कोई पेट खाली न सोता....
….... रात, और सन्नाटों के बीच कोई घर अँधेरा न होता …
…… बच्चों के हाथों में किताबें होती, बचपन के हाथ में कटोरा न होता....
...... ख़ाकी कपड़ोंं से मिट्टी की ख़ुशबू आती… भ्रष्टाचार न नज़र आता…
काश कि मैं भारतीय रह पाता ....
काश....
.... मंदिर के मंत्रोंं से.... मस्ज़िद की अज़ान से …
.... गुरूद्वारे की अरदास से.... चर्च की प्रार्थना से …
… उठती हुई गूँज को हम समझ पाते ....
... और कोई नासमझ.... किसी को छोटा न समझता....
नीचा न दिखाता…
काश कि मैं भारतीय रह पाता....
काश....
.... सभ्यता और संस्कृति का परवाज़… फिर से बुलंद हो पाता…
.... रिश्तों की क़ीमत और कशिश को हम फिर से समझ पाते....
.... नई डोर को थामे हुऐ… पुराने रिश्तों को भी निभा पाते…
.... और कोई बूढ़ी माँ या बूढ़ा बाप.... कभी तन्हा न होता.... वृद्धाश्रम ना जाता....
काश कि मैं भारतीय रह पाता....
काश....
.... अपने पराये की परिभाषा… फिर से दोहराई जाती…
.... इंसानियत के जज़्बे को फिर से तलाशा जाता…
…. रात को बचा हुआ फेंकते हुऐ… भूखे खाली पेटों का सबब हमें याद आता…
…. हमारी इस हाई प्रोफाइल ज़िंदगी में… एक मकसद सा डाल जाता…
काश कि मैं भारतीय रह पाता....