चार लोग
चार लोग
सुना है कोई चार लोग हैं,
जिन्हें बड़ी फिक्र है मेरी,
कभी देखा तो नहीं उन्हें,
लेकिन वे रखते हैं
मेरी हर बात का खयाल...
मेरे सोने से लेकर जागने तक
मेरे उठने से लेकर बैठने तक
मेरे खानपान से लेकर,
मेरे चालचलन तक,
हर बात का हिसाब है उनके पास,
मेरे हर काम पर रखते हैं नजर,
करते हैं विचार विमर्श,
फिर निकालते हैं निष्कर्ष
और देते हैं
प्रमाणपत्र मेरे केरेक्टर का....
भले ही होंगे शायद
वर्ना आजकल ऐसे लोग कहाँ
जो करें दूसरों की चिंता
बड़ी तमन्ना है उनसे मिलने की
क्या होंगे कदाचित हम जैसे ही वे...
लोगों की व्यस्त भीड़ में
ढूँढना चाहकर भी
नहीं ढूँढ सकी मैं उन्हें
आते कहाँ से हैं ये चार लोग...
और यूँ इस तरह लोगों का
केरेक्टर एनालिसिस कर
कहाँ हो जाते हैं गुम
अगर कभी कहीं आपको मिलें तो
मुझसे भी मिलवाना....
क्योंकि मुझे उन्हें है बताना
कि हर बार जो दिखता है
वो होता नहीं
और जो होता है
वह अक्सर दिखाई नहीं देता...।।