नींव के पत्थर
नींव के पत्थर
महलों वाली रानी सुने, महलों में बैठे राजा भी सुने
नींव के पत्थर बोल रहे हैं, हमारी आवाज़ भी सुने
माना कि दुनिया की नज़रों में
क़द में तुमसे बौने हैं
क़ीमतें तुम्हारी आसमान छूतीं
दाम हमारे औने-पौने हैं
सर पे तुम्हारे हमेशा से ताज रहा है
पीढ़ी दर पीढ़ी तुम्हारा राज रहा है
पर पाँव फटी बिवाई की
दर्द भरी परवाज़ भी सुने
माना कि आसमा छूतीं अट्ठालिकाओं में बैठे हो
हमेशा से ही नरम मखमली रेशमी बिस्तर पर लेटें हो
दुख दर्द का तुम्हारी ज़िंदगी में कोई निशान नहीं
सुखद अहसास भरे लम्हें ही दिल में समेटें हो
फिर भी चौसर की चालों का ये अनजाना राज भी सुने
हमसे तुम हो, तुमसे हम नहीं
माना कि ज़मीन पे हैं पड़े
मगर हमीं पे है तुम्हारे पाँव टिके
जो दरक जाए नींव के पत्थर ही
बिखर जाती है ये इमारतें
महलों वाली रानी भी सुने, महलों के राजा भी सुने
प्रजा बोल रही है, हमारी भी आवाज़ सुने
नींव के पत्थर बोल रहे हैं, हमारी आवाज़ भी सुने