हसरतें !!
हसरतें !!
लिखा तो बहुत कुछ मैंने
ये बीतें दिनों में,
कुछ पल थे,
कुछ एहसास थे,
कुछ अनछुए जज़्बात थे,
कुछ सवाल थे,
कुछ जवाब थे,
कुछ अधूरे से ख्वाब थे,
कुछ दर्द था,
कुछ मलाल था,
कुछ हल्का सा आराम था,
कुछ तुम थी,
कुछ मैं था,
कुछ नामुमकिन सा अंजाम था,
लिखा तो बहुत कुछ मैंने
ये बीतें दिनों में,
पर सब,
सब हसरतों के खिलाफ था !