पुरानी किताब
पुरानी किताब
धूल छड़ी इक किताब पुरानी,
तेरी मेरी नज़दीकियों की वो कहानी,
मिली थी कल तन्हा मुझे,
ढूंढ रही शायद वो पुराने लफ़्ज़ों की रवानी,
वो किस्से जो तेरी नादानी के थे,
छुप-छुप के प्यार करने की जो शैतानी के थे,
जिद्दी दिल के मासूम-सी इनायत के,
कुछ मेरी मर्ज़ियों पर तेरी कुर्बानियों के थे,
उन्ही कुछ किस्सो से भीगी उस स्याही का हिस्सा,
पहली बारिश और आख़िरी ख्वाहिश का किस्सा,
कागज़ की चंद दीवारों पर यूँ टांग कर लाई थी,
तालों में जो बंद पड़ी थी जैसे हीर कोई दीवानी,
धूलल छड़ी इक किताब पुरानी,
तेरी मेरी नज़दीकियों की वो कहानी,
मिली थी कल तन्हा मुझे,
ढूंढ रही शायद वो पुराने लफ़्ज़ों की रवानी!