आईना
आईना
आईने की तरह देखती हूँ तुझको
तुझमें ही पाती हूँ खुद को।
दूर हो चाहे मीलों के फासले से
तन्हाइयों में पास पाती हूँ तुझको।
बगैर मेरे बुलाने से
यादें तेरी दस्तक देती है।
खोल लेती हूँ दरवाजा
रोक नहीं पाती हूँ खुद को।
ना दिल पे मेरे पहरा है
ना नींद पे जोर चलता है।
भाग जाती है बार बार वो
अकेले मुझे छोड़कर।।