पथिक
पथिक
मार्ग से भटका पथीक हूँ
प्रभू 'तेरी शरण मे लाओ
अधियरो मे डुबा है तन
उजियरे की राह दिखाओ
के गुरू मेरा सबसे सांचा
काम क्रोध मे डूब गया हूँ
मन में लंका का डेरा
मोह माया की सांझ निकट है
हास्य पर क्रोध का पहरा
पुण्य सुबह का दीपक जलावो
के गुरू मेरा सबसे सांचा
अहंकार की लाट मे डूब कर्म का सागर है
अमृत समझ जिस जल मे डूब वो विष की घागर है
मोक्ष का तिलक लगाओ
के गुरू मेरा सबसे सांचा