आख़िर क्यों
आख़िर क्यों
कोमल है वो, सब जानते हैं
जननी है, ये भी मानते हैं।
अगर वो अपने पर आ जाए तो
शक्ति का रूप है सब पहचानते हैं।
पर ना जानें,
हर बार सीता की अग्निपरीक्षा से
सबको साबित करना क्या है ?
पुरुष प्रधान इस समाज को
आख़िर, हासिल करना क्या है ?
जो अभिमान तुम्हें है, अपनी ताक़त पर
तो क्यों ना, देश के लिए ढाल बनो।
एक नारी पर, यूँ ज़ोर चलाकर
आख़िरकार,मिलना क्या है ?
ममता की है छाया जिसमें
हर दर्द की जो है, दवा बनी।
उसे ही, तन मन से ज़ख़्मी कर
आख़िरकार,पाना क्या है ?
सीता की अग्निपरीक्षा से
सबको साबित करना क्या है ?