हम हमेशा मिलते रहेंगे- यूंहीं
हम हमेशा मिलते रहेंगे- यूंहीं
जिस प्रकार की छवि
तुम छोड़कर गए हो, मित्र
वो आज भी वैसी है
कुछ नहीं बदला, न बदलेगा।
बदली है तो ये दुनिया
तुम्हारे लिए और हमारे लिए।
हम तो आज भी वही हैं
जैसे रात-दिन, सुबह शाम
असीम संगम है हमारा
सबसे अलग सबसे न्यारा।
हृदय की अत्यंत गहराई में ,
एक तस्वीर सहेजकर रखी है तुम्हारी
जिसमें हमारी अपनी एक
अनोखी दुनिया बसी है।
जिसमें कभी हम शांत रहते हैं
तो कभी ऊधम मचाते हैं।
कभी रोते हैं तो
कभी हँसते-खिलखिलाते हैं।
घने बादलों में
तेज शीतल लहरों में,
मैं अब भी तुम्हें ढूँढ लेता हूँ
भिन्न-भिन्न पंछियों की
सवारी करते हुए।
स्नेह और चंचल छवि
जो तुम छोड़कर गये हो मित्र,
वो आज भी वैसी ही है।
कुछ भी नहीं बदला, न बदलेगा
बदली है तो ये दुनिया,
तुम्हारे लिए और हमारे लिए।