बारिश
बारिश
आ मेरी हथेली पर आ तुझे मुट्ठी में बंद कर लूं,
जब भी जी चाहे मेरा में तूझसे बाते चंद कर लूं।
रोज रोज तू आती नहीं मेरे संग मस्ताने को,
रोज रोज तू आया कर मिलने अपने दीवाने को।
तेरे आ जाने से स्कूल की भी छुट्टी हो जाती है,
जल्द उठना नहीं पड़ता डाँट की भी छुट्टी हो जाती है।
कॉपी के पन्नों को फाड़ फाड़ किश्ती मैं बनाऊँ,
तेरे बहते पानी में छोटी सी किश्ती मैं तैराऊँ।
पानी में छपछप कर छीटें मैं उड़ाऊं,
गीले गीले जूते से मैं नन्हें नन्हें निशान बनाऊँ।
आक्छि आक्छि करता करता मैं जब घर में आऊँ,
डरता डरता मम्मी से मैं पलंग के नीचे छिप जाऊँ।
आक्छी की आवाज को सुन कर मम्मा ढूंढ ही लेती मुझको
तौलिये से पोंछ कर जल्दी से आँचल में छुपा लेती मुझको
माँ के आँचल में नींद जो आई मुझको
आँख खुली तो पाया मैने बुखार हुआ है मुझको
डाक्टर के पास जाना पड़ा मुझको सुई भी लगवाई,
आसमान भी सर पर उठा लिया जोर जोर से चिल्लाई।
बारिश ना आती तो अच्छा था सुई तो न लगती मुझको,
इससे भला तो स्कूल ही था दर्द तो न होता मुझको।