दिन को अच्छा न लगे रात को अच्छा न लगे
दिन को अच्छा न लगे रात को अच्छा न लगे
दिन को अच्छा न लगे रात को अच्छा न लगे
आज भी ग़म जो किसी का मुझे अपना न लगे
जिंदगी मैं तो तेरे बोझ से झुक जाता हूँ
लोग कहते है मगर मुझको ये सजदा न लगे।
है कोई जो मेरी नज़रों में छुपा बैठा है
वो जो अपना न लगे और पराया न लगे।
आईने से भी ग़लतफ़हमी तो हो सकती है।
मेरे जैसा है मगर ये मेरा चहेरा न लगे।
है कमी कोई या मश्शाक हुआ है महबूब
इश्क की राह इसे आग का दरिया न लगे।