मुझ को
मुझ को
1 min
6.9K
वो समझता है जाने क्या मुझ को
कह रहा है भला बुरा मुझ को
मुझ को अपना कभी कहेगा वो
आज बेगाना गर कहा मुझ को
उसने मुझ को उठाया महेफ़िल से
दे रहा है वो अब सदा मुझ को
ले गया साथ मेरे साये को
कर गया मुझ से वो जुदा मुझ को
ये तग़ाफुल ये बेरुखी तेरी
है ये सब से बड़ी सज़ा मुझ को
उसके नक़्शे-क़दम पे चलता हूँ
यूँ भी वो साथ ले चला मुझ को
आँधियों में पला, बढ़ा हूँ मैं
क्या समझती है ये हवा मुझ को
बाँध लेता है मेरे क़दमों को
चाहता है यूँ रास्ता मुझ को