माँ को माँ होने में !
माँ को माँ होने में !
बहुत कष्ट
उठाने पड़ते हैं,
अपने जख्म
छिपाने पड़ते हैं,
लहू बहाने
पड़ते हैं,
यूँ ही आती नहीं खुशियाँ,
घर आँगन में,
जान हथेली पर रखनी पड़ती है,
माँ को माँ होने में।
भूल जाते हैं हम,
कितनी आसानी से,
अपने पैरों पर खड़े होते ही,
एक पल भी ना लगाते हैं,
उसी माँ को
खोने में,
जान हथेली पर रखनी पड़ती है,
माँ को माँ होने में।
अंगुली पकड़कर
चलना सिखाया हो
दर्द मुझे तो खुद
आँसू बहाया,
लाख गलती पर भी मुझे
अच्छा बताया,
छोटे से जख्म पर भी
मरहम लगाया,
एक पल भी
नहीं लगता है,
बेटे को उससे जुदा
होने में,
जान हथेली पर रखनी पड़ती है,
माँ को माँ होने में।।