क(बेर) वाणी
क(बेर) वाणी
टॅड़ी टॅड़ी सभौ करें
पर बेर (सहन) करे न कोई
आपन टॅड़ी से बैर (दूश्मनी) करे
बिनकारण झगड़ा होय
टॅड़ी जो देखन मैं चला
टॅड़ी न मिलीया कोई
आईना जो देख लिया
खूद सा टॅड़ी न कोई
हनी हनी सभौं कहें
टॅड़ी बेर कहे न कोई
पर बेर को मनभावन
हनी से बड़ा न कोई
खिलौना मिलता टॅड़ी का
हर कोई हरखा जाए
आ जावैं असली बेर (भालू) तो
दबा के दूम भाग जाए