आँसूं
आँसूं
इन अश्कों को गिराओ न ऐसे वैसे
यह आँसूं हैं मोती जैसे
कितने मिलेंगे ऐसे - वैसे
उनके जैसे , इनके जैसे
जो अश्कों की ज़ुबान को समझे
कब मिलते हें जग में ऐसे.
तेरे आँसूं हें हम , तुझसे ही शिकवा करेंगे
अरे हम तो बैठे थे सबसे छुपके
जगा दिया हमें अपनी रूह को तड़पाके
यह सैलाब न संभलेगा तुमसे
इस सैलाब को छुपाओ जग से
गहराई क्या होती हें सुनलो
तहज़ीब होती क्या , सीखो हमसे .
हर मंज़र पर रूह हम बदलते
रूप बदलते हें चलते - चलते
हम जो होते साथ ख़ुशी में
गम में भी हम ना साथ छोड़ते,
माँ की ममता में गर हम छुपे हें
बच्चे की किलकारी में हम खो जाते
मंदिर मस्जिद के बाहर गर हम बिखरते
फिर उठ जाते हें मज़दूर के हाथों की क्षमता से
पर खुद को भी जब हम पी जाते हें
अरे मंज़र ना जाने कितने हें आते .....
ऐ सुनलो दिल रखने वाले
हम तेरे हें तू हमें जाने
आवाज़ यह दिल की किसको सुनाए
दिल की जुबां यहां कोई क्या जाने
छुपालो हमें तो उन लोगों से
जिनके अन्दर दिल हें काले..
दिल की जुबां हें यह अश्क तेरे
ना रहने दो इनको बिखरे - बिखरे
तू रोये तो हम भी रोये
तू हँस दे तो हम भी हँस दे
तू जिए हर पल हँसते - हँसते
हर पल हम तो यही हैं चाहते
पर जब मुश्किल सामने आये
तेरा हौसला हम और बढ़ाए
चलते - चलते तू बुलंदियां छू जाये
ज़िन्दगी हें यही, चलो दुनिया को समझाये..