मेरा गाँव
मेरा गाँव
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ठण्ड़ी हवा के झोंको ने
पीपल की ठण्ड़ी छाँव ने
कुएँ के मीठे पानी ने
कानों में मेरे एक बात कही
आकाश में उमड़ते मेघों नें
बसंत में खिलते फूलों ने
गुनगुनाते हुए भँवरों ने
कानों में मेरे एक बात कही
उस दिन मुझे यह एहसास हुआ
हाँ मुझे भी है प्यार हुआ
प्यार मुझे है मेरे घर से
प्यार मुझे है मेरे गाँव से
न सुख ऐसा मिला शहर में
न शान्ति ऐसी मिली शहर में
घूम कर सारा जगत यह जाना
प्यार मुझे बस मेरे गाँव से।