हुजूर
हुजूर
दुनिया जहान से न यूँ भरमाइये हुजूर,
मिलने की आस है तो चले आइये हुजूर।
अपनी विसाल की बड़ी हसरत बनी रही,
फुरकत से और हमको न तरसाइये हुजूर।
कितनी इनायतों की है उम्मीद मेरे हमदम,
दूरी बढ़ा के हमको ना तड़पाइये हुजूर।
सहते रहे हैं आज भी फुरकत के रंज हम,
नगमें नई हयात के तो अब गाइये हुजूर।
बढ़ती रही है यूँ तो रफ़ाक़त की आरजू,
हम पर भी प्यार बन के छा जाइये हुजूर।
अंदोह-गीं में ये जिंदगी अपनी गुज़र रही,
दिल से खुशी का रास्ता अपनाइये हुजूर।
मासूम दीदे शोक में ही ये आँखें लगी रही,
अब तो वफ़ा की शमा जला दीजिए हुजूर।।