तुम्हारी यादें...
तुम्हारी यादें...
तेरे मेरे बीच में रहता क्यों है अंतर
फिर भी मेरी चाहत तुम ही हो निरंतर...
मुझे तुम्हारी तरफ खिंचती कोई डोर
यूं ही नहीं चला आता मैं तुम्हारी ओर...
किये थे कितने वादे, तुम सारे भूल गई
क्यों हमारी मोहब्बत पानी में धूल गई ?...
चला आया था तुम्हारे पास, तुम थीं नहीं
ढूंढा तुम्हें कहीं और, तुम दिखी नहीं कहीं...
क्यों किये थे वादे, क्यों लड़ाए थे नैन
क्यों चुराया था तुमने मेरी रातों का चैन...
रोता हूं याद आती तुम्हारी हर बात में
मुझे तनहा छोड़ दिया भरी बरसात में...