खुश ही रहूंगा
खुश ही रहूंगा
बिता हुआ समय नहीं वापस आता
पर जब भी यादों में आता, खूब रुलाता
बार-बार यही कहता "मुझे क्यों भूल गए?"
मेरी की हुई हरकतों को याद दिलाते गए।
समय बड़ा बलवान
हम सिर्फ एक इंसान
क्या कहा और क्या किया!
बस मुकर गए और धोखा ही दिया।
दुखी भी कर देते है कईबार
जब में सोचता हूँ कहाँ है पुराने यार?
मुझे बार-बार परेशान करते पर रहते साथ-साथ
यही तो मुझे याद आता है उनका प्यार भरा संगाथ।
हमारा बस एक ही प्रस्ताव
बड़े होकर खीचेंगे नाव
अलग-अलग ज़रूर होंगे
पर मिलेंगे जब भी अच्छे प्रसंग होंगे।
भीड़ में असंख्य चेहरे दिखते हैं
मानो रंगबिरंगी फूल खीलते हैं
रंग अनेक पर रौनक और दिखती है
"मैं कहाँ हूँ इनके बीच" यह बारबार सोचती है।
दिन और भी कट जाएंगे
मेरे चिंतित मन को और सताएंगे
पर मैं खश हूँ और खुश ही रहूंगा
सब की याद मन में ताजा ही रखूंगा।