ए मेरे दोस्त
ए मेरे दोस्त
स्कूल की नटखट शैतानियों को उसके साथ दोहराना चाहता हूँ,
आज फिर अपनी दोस्ती के किस्से सुनाना चाहता हूँ।
थाम लो अपनी धड़कन को कुछ समय के लिए
आज फिर दोस्ती की सच्ची परिभाषा बताना चाहता हूँ ।
हर खुशी में उसकी मुस्कराहट को याद करता हूँ,
हर ग़म में उसके सहारे को महसूस करता हूँ।
वो दूर यक़ीनन हो मुझसे मगर फिर भी
उसके साथ अपनी दोस्ती के पल को याद करके आंसू बहा लेता हूँ।
हर लम्हा मैं उसकी दोस्ती का शुक्रगुजार करता हूँ,
उसकी आँखों में अपनी सलामती की दुआ देखता हूँ।
हर राह पर वो साथ रहे मेरे
खुदा से ऐसी दरखास्त करता हूँ।
आज फिर एक दफा मैं बोरिंग क्लास से ज्यादा उसे सुनना चाहता हूँ,
उसकी हर एक बात पर उसका मज़ाक बनाना चाहता हूँ।
जानता हूँ बीत चुके हैं वो दिन बचपन के
बस कुछ पल के लिए मैं उन दिनों को याद करना चाहता हूँ।
उसके हर एक गुनाह का मुजरिम बनाना चाहता हूँ,
उसकी हंसी के लिए अपनी खुशी कुर्बान करना चाहता हूँ।
कलम से उसकी अहमियत को बयान करना चाहता हूँ
और हर जनम उसका दोस्त बनाना चाहता हूँ।