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Bhavna Soni

Others

4.7  

Bhavna Soni

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एहसास

एहसास

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ना जाने ऐसा क्यों होता है

जो आपका होता है वही पराया हो जाता है

सोचा था साथ रहेंगे हमेशा

किसे पता था नफरत करेंगे इस तरह


कल जो मिले थे हँस के

आज वो ही पल आँखों में आँसू ला देते हैं

अनजाने में मिली वो जो ख़ुशी थी

अनजाने में दुःख दे जाते हैं


लगता था जी ना पाएँगे हम जिसके बिना

आज उसके साथ ना जीने की कसम खा ली है

हँसी की वजह बनाया था हमने जिसे

उसके बग़ैर मुस्कराने की आदत दाल ली है

टहलते हुए पहुँच जाते हैं


उन हसीन जगहों पे कभी

मुस्कान तो आती ही है

ग़म भी लौट आते हैं सभी

अपनों के लिए जीना चाहते थे

अपने ही कहीं खो गए

अब खुद के लिए भी जीना है

अपनों को खोज कर


आँखें पढ़ लेते थे जो

हम कैसे नहीं पढ़ पाए उनकी आँखें

प्यार किया था जिनसे

हम कैसे नहीं समझ पाए उनकी बातें


दौड़ में हमेशा अव्वल आते थे वो

भागना उन्हें पसंद था

जिंदगी से भाग रहे थे वो

हमे कहाँ पता था


सीखा था जिनसे भरोसा करना

उन्होंने ही भरोसा तोड़ दिया

हर छोटी बात पर रो पड़ते थे हम

उन्होंने दर्द में भी मुस्कराने के लिए छोड़ दिया







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