व्याकुलता
व्याकुलता
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मैं ढूंढ रहा हूँ बादल को इक गर्मी की दोपहरी में
जैसे ढूंढी थी कभी धूप, उस कोहरे वाली सर्दी में
यह विकल चाह, यह पागलपन
सीखा है जग की जल्दी में
ना दो अब धैर्य का आश्वासन
होने दो व्याकुल मेरा मन...।