मद्य में चूर
मद्य में चूर
जरा सा दुःख चला आया,गरल सम मद्य ले आए।
खुशी कोई बिना इसके,जताई क्यों नहीं जाए।
तुम्हें लगता है कि
आनंद के क्षण जी रहे हो तुम।
हो रहे खोखले क्षण-क्षण,
गरल जो पी रहे हो तुम।
हृदय की वेदना क्षण भर,
अचेतन से मिटी कब है।
मिट रहा मान, बल, यौवन,
समझ में क्यों नहीं आए।
जरा सा दुःख चला आया,गरल सम मद्य ले आए।
खुशी कोई बिना इसके,जताई क्यों नहीं जाए।
किसी की आस हो विश्वास हो,
संगी सहारे हो।
जरा सी एक विफलता से,
क्यों निज उर आस हारे हो।
नहीं एक तुम मिट रहे हो,
इस व्यसन के हलाहल से।
तुम्हारे संग घर-परिवार भी
कितनी सजा पाए।
जरा सा दुःख चला आया,गरल सम मद्य ले आए।
खुशी कोई बिना इसके,जताई क्यों नहीं जाए।
त्याग दो व्याधि जो पनपी,
क्षणिक हृदय के डिगने से।
न लाचारी ये अपनाओ,
जरा सी चोट लगने पे।
जिसे तुम आज पीते हो,
तुम्हें पी जाएगी एक दिन।
बात इतनी सरल सी भी,
समझ तुम क्यों नहीं पाए।
जरा सा दुःख चला आया,गरल सम मद्य ले आए।
खुशी कोई बिना इसके,जताई क्यों नहीं जाए।