कोरोना काल
कोरोना काल
कालों का महाकाल है ये काल,
पुश्तों तक याद किया जायेगा ये काल।
सुर्ख खून से रंग दिया है जिसने वर्तमान काल को,
इतिहास के पन्नों पर काले, डूबे हुए,
भूतिया शब्दों से पहचान होगी कोरोना काल की।
अर्श से फर्श तक सब खून के आसूँ रो रहें हैं,
किसी को लेना है, तो किसी को देना है,
जिम्मेदारी और उम्मीद दोनो का दामन खाली है।
वर्षिय, पंचवर्षीय योजनायें, रेत के किले सि ध्वस्त हुई,
कोरोना की तेज लहर के आगे जिन्दगानी पस्त हुई।
हर सुबह एक अनजाने डर से होती है,
जैसे, घर वापसी हर रोज मर्घट से होती है,
अपनों के बीच आकर भी अछूत सा महसूस करता हूं,
हर रोज बिना मरे ही, मरता हूं ।
अपनो को खुद से बचाने की
जद्दोजहद का ये सफर अन्तहीन सा लगता है।
जीवन, तनाव और टिके रहने की राह में बँट रहा है,
और ये काल हमारे जीवन को दीमक सा चट रहा है।
समझता हूं,
अच्छे की तरह, बुरा वक्त भी निकल जायेगा,
काल तो काल है, हर हाल में गुजर जायेगा।
परम पिता परमेश्वर से ये प्रार्थना है मेरी,
हमें संयम और साहस का संबल दे,
उबर सकें हम, बस इतना हमें बल दें।
हे ईश्वर,
जीवन के सागर में,
आपदाओं की लहर पर सवार है कश्ती हमारी,
आपके आशीर्वाद की पताका और
हौसले की पतवार पर है जिंदगी हमारी।
हम प्रार्थना करेंगे ना मांगेंगे जीवन की भीख,
बस देना हमें अपने प्यार और अथाह संयम की सीख।