दोस्त
दोस्त
अतीत के पुराने पन्नों को खोला,
तो कुछ यार बहुत याद आये !
था उलझन में या दुःख में अकेला,
वे दोस्त ही फ़िक्र करते आये,
दूर है फिर भी भूल ना पाया,
खुद से जिक्र उनका हो आये !
यादों से आंखें नम हो जाती है,
रोज कहाँ मुलाकात हो पाती है,
जब चाहता हूं फोन पर बात कर लेता हूं,
पुरानी यादें नयें सिरे से ताजा हो जाती है !
न जाने कैसे वो मेरा हाल जान लेते थे,
मेरी आवाज से ही मेरा दर्द पहचान लेते थे,
कहने को मुश्किलें बहुत थी जिन्दगी में,
तसल्ली उनकी मुश्किलों को आसान बना देते थे !
हर किसी की किस्मत में मेरे अपने से मित्र हो,
जिन्दगी के कैनवास में जो सजीव से चित्र हो,
अतीत के झरोखों की कल्पना जब भी कोई करे,
सामने बस वे परम स्नेही दोस्त ही सचित्र हो !